मज़ा लिया जाए – Ghazal

Dec 12, 2012 at 11:42 am | Posted in india | Leave a comment
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दिन है इतवार का मज़ा लिया जाए
थोडा इंतज़ार का मज़ा लिया जाए

जवानी का पतझड़ कब का गुज़र गया गया
बुढापे  की बहार बहार का मज़ा लिया जाए

कलम दवात मेरी पूरी ज़िन्दगी को खा गए
खंजरों की धार का मज़ा लिया जाए

बेईमान हो गए तो उनकी हैसियत बदल गई
फिर से इमानदार का मज़ा लिया जाए

पहली नज़र में ही उसे दिल दिया मैंने
मोहब्बत की इस हार का मज़ा लिया जाए

कभी कभी बच्चे भी बनके देख लो यारों
माँ के उस दुलार का मज़ा लिया जाए

घटनाएं रोज़ ही होती रहेंगी नया कुछ नहीं है
चलो पुराने अखबार का मज़ा लिया जाए

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